त्रिवेणी मेले में नागरिकों ने कविताओं का लुफ्त उठाया
रतलाम । नगर निगम द्वारा आयोजित ग्यारह दिवसीय त्रिवेणी मेले में रात्रि में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में बीती रात निगम रंगमंच पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने काव्य पाठ कर श्रोताओं की खुब दाद बटौरी।
कवि सम्मेलन में ग्वालियर की कवियत्री ने अपनी कविता पाठ करते हुए कहा –
मैं गीतो ओर गजलों मसे सभी का मन लुभाती हूॅं
तभी सबको सुहाती हूॅं बड़ा अभिमान है मुझमें
मैं हूॅं महाकाल की बेटी, मगर अपनो के आगे मैं अपना सर झुकाती हूॅं।
पुणे से आये कवि लव कुमार यादव ने अपनी कविता में कुछ यूं कहा-
राष्ट्र वंदना से उच्च वंदना नहीं है कोई
धर्म कोई पुछे जय हिन्द ही कहेंगे हम।
कायथा से आये कवि नरेन्द्र नखेत्री ने अपनी कविता सुनाते हुए कुछ यूं कहा –
देष का माथा पे से जब तक उल्लू की छाया नी जायेगा
तब तक गांधी बाबा थारा देश में राम राज्य नी आयेगा।
राजस्थान चित्तौडगढ़ से आये नवीन सारथी ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा-
सीता, सावित्री, मीरा के देश में
बदल चुकी है भारतीय नारी, फैशन के परिवेश में।
नालक्षा से आये कवि श्री धीरज शर्मा ने अपनी कविता में कुछ यूं कहा कि-
संस्कार का विद्यालय नहीं होता
कोई ट्यूशन कोई कोचिंग नहीं होती
व्यर्थ में संस्कारो को ढूढंने की कोशिश क्यों करता है
घर संस्कारो का विद्यालय होता है।
महाराष्ट्र मुम्बई से आये कवि अख्तर हिन्दुस्तानी ने कुछ यूं कहा –
फलक छुरी पे मौजे भी हमें डूबो नहीं सकती
वक्ती तुफान में कश्ती ये खो नहीं सकती
अगर हम एक हो जायें ऐ हिन्दुस्तान वालो
तो बड़ी ताकत जहां में हमसे हो नहीं सकती।
मांडव से आये कवि पंकज प्रसुन ने अपनी कविता में कुछ यूं कहा कि –
सदियों से प्रतिक्षा थी जिसकी आज हा रहा है
खुशियां मनाईये कि राम राज्य आ रहा है।
प्रारंभ में कवियों का स्वागत पुष्पहार व पुष्प गुच्छ से किया गया।