जिदंगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी रहती है धर्म की कमाई-आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा
धर्म का जीवन निष्पाप जीवन होता है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में धर्म की कमाई का लक्ष्य ही रखना चाहिए, क्यों कि यही ऐसी कमाई है, जो जिंदगी के साथ भी रहती है और जिदंगी के बाद भी रहती है। धर्म रूपी धन के अलावा जितने भी प्रकार के धन है, वे तो नाशवान होते है।
Read More