आदिवासियों पर कब्जे की जंग

भारत आदिवासी पार्टी से सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार भी आ गए मैदान में !
विधायक डोडियार ने ‘शब्द एक्सक्लूसिव’ से कहा – मैंने हिंदू पद्धति से शादी नहीं की है
रतलाम । Kishan sahu
मध्य प्रदेश की राजनीति पर अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। इसलिए राजनीतिक पार्टियों का फोकस इस वर्ग को साधने पर रहता है। इसको देखते हुए कांग्रेस ने अभी से एसटी वर्ग को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए नई चाल चल दी है। कांग्रेस ‘आदिवासियों’ पर अपना एकछत्र राज जमाना चाहती है। इसके लिए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा है कि मैं गर्व से कहता हूं कि हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं। इस शह और मात के खेल में भारत आदिवासी पार्टी से सैलाना के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर सनसनी फैला दी जिसमें वे लिखते हैं कि – ‘आदिवासी बिल्कुल भी हिंदू नहीं हैं। हाँ, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के कारण आदिवासी ईसाई जरुर बने हैं।’

गौरतलब है कि मप्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता की जंग में आदिवासी समुदाय की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। यह समुदाय जिसके साथ चलता है, सत्ता उसी को मिलती है। पिछले दो दशक से आदिवासी समुदाय भाजपा के साथ है, अलबत्ता 2018 में कांग्रेस की ओर आदिवासी समाज का झुकाव होने से कमल नाथ को सरकार में आने का मौका जरूर मिल गया था। यही वजह है कि वर्ष 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हो रही जनगणना को लेकर कांग्रेस सक्रिय हो गई है। कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय से अपील की है कि जनगणना में धर्म के कालम में वह स्वयं को हिंदू न बताएं।
इधर, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे हिंदुओं का अपमान बताया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बयान गर्व से कहो हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं के बाद प्रदेश का सियासी माहौल गरमा गया है। भाजपा के आदिवासी नेताओं ने सिंघार के बयान को आदिवासी विरोधी बताया है। उन्होंने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयानों को आधार बनाकर कहा कि कांग्रेस की संस्कृति ही सनातन धर्म के विरोध की रही है। अब जनगणना के बहाने कांग्रेस हिंदू ही नहीं, बल्कि समाज का बंटवारा करना चाहती है।
यह बयान हिंदू समाज के साथ ही आदिवासी समुदाय को भी कमजोर बनाने की साजिश है। आदिवासी वर्ग को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस में शह-मात का खेल शुरू हो गया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को किसी एसटी आरक्षित सीट पर जीत नहीं मिली थी।
उमंग सिंघार का बयान ऐसे समय पर आया है, जब सुप्रीम कोर्ट में लंबित ओबीसी आरक्षण के मामले में कांग्रेस ने सरकार का साथ देकर एक तरह से अपने हथियार डाल दिए हैं। उसने ओबीसी आरक्षण के मामले में सफलता और असफलता का अनुमान लगाए बिना यह कदम उठाकर बड़ा जोखिम लिया है। जनगणना में आदिवासी समुदाय को अलग से पहचान दिलाने की कांग्रेस की यह कोशिश भी नुकसान का कारण बन सकती है।
कांग्रेस के पास आदिवासी समुदाय के बीच जाकर बताने के लिए फिलहाल कुछ खास नहीं है, वहीं द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति पद तक पहुंचाने का श्रेय भाजपा अपने खाते में रखती है। साथ ही पेसा एक्ट जैसी कवायद भी भाजपा सरकार कर चुकी है। देश के विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के अनुषांगिक संगठन आदिवासी समुदायों के बीच मतांतरण रोकने के साथ उनके कल्याण के लिए कार्यक्रमों को लगातार जारी रखे हुए हैं।
संघ की कोशिश है कि रामायण और महाभारत काल के तमाम उदाहरण के माध्यम से आदिवासियों को उनके हिंदू होने का बोध कराते हुए मुख्य धारा में लाया जाए। इधर कांग्रेस के बयान इन कोशिशों के लिए चुनौती खड़ी करते हैं।
विधायक डोडियार ने मौके पर मारा चौका

आदिवासियों को हिंदू न बताने वाली विधायक डोडियार की पोस्ट पर जमकर बवाब काटा जा रहा है। उनकी इस पोस्ट पर 1500 से ज्यादा लाईक्स हैं, लगभग साढ़े तीन सो कमेंट्स हैं और 45 शेयर। इन कमेंट्स में विधायक डोडियार की शादी के फोटो भी पोस्ट की जा रही है जिनमें दावा किया जा रहा है कि विधायक डोडियार ने स्वयं आदिवासी होकर हिंदू मंदिर में हिंदू पद्धति से विवाह किया। जिसको लेकर ‘शब्द एक्सक्लूसिव’ से चर्चा करते हुए विधायक डोडियार कहते हैं कि यह मंदिर करकई माता का मंदिर है, यह हिंदू मंदिर नहीं है और मैंने हिंदू पद्धति से विवाह नहीं किया है।
विधायक डोडियार की पोस्ट में आदिवासियों के इसाई बनने का कारण बताने से आदिवासी समाज के कई लोगों ने उनकी आलोचना की है। लेकिन डोडियार सियासत की बिसात पर बड़े-बड़े दिग्गजों के बीच इस सियासी घमासान में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। वे बहुत थोड़ा लिखकर बहुत ज्यादा बता चुके है।
