महर्षि दयानंद सरस्वती के 200 वे जन्म जयंती पर्व पर सात दिवसीय प्रचार यात्रा का शुभारंभ
रतलाम। आर्य समाज के संस्थापक वेद उद्धारक समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती के 200 वे जन्म जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा भोपाल द्वारा सात दिवसीय प्रचार यात्रा का शुभारंभ आर्य समाज रतलाम से प्रातः कालीन यज्ञ से किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मऊ से पधारे श्री दिलीप आर्य व श्री पंडित हरि ओम सरल द्वारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी गई। भजन ओम नाम अति पावन पावन कोई गाकर देख लो एवं धीरे-धीरे मोड़ तू इस मन को उसे सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में होशंगाबाद से पधारे विद्वान आचार्य योगेंद्र जी यौगिक द्वारा प्रेरणा पद उद्बोधन में कहां की प्रत्येक मनुष्य जो भी काम करता है वह केवल सुख,शांति और तृप्ति हेतु करता है मनुष्य को सुख केवल बाहरी अर्थात भौतिक साधनों से मिलता है किंतु यह जरूरी नहीं की जिसके पास सुख के साधन हो और उसके पास शांति भी हो क्योंकि शांति के लिए मन में तथा मस्तिष्क में शांति होना जरूरी है। जिसके पास सुख है शांति है जरूरी नहीं कि उसके पास तृप्ति भी अर्थात संतुष्टि भी हो तृप्ति के लिए मनुष्य को परोपकार एवं परमार्थ के काम करते रहना चाहिए जो मनुष्य परोपकार एवं परमार्थ के काम करता है उसे इन कार्यों से संतुष्टि व तृप्ति प्राप्ति होती है। तृप्ति आत्मा का विषय है यह ईश्वर की प्रार्थना परोपकार व परमार्थ से प्राप्त होती है। अतिथियों का स्वागत राम कुमार यादव, राजेंद्र बाबू गुप्ता, वेद प्रकाश आर्य, डॉक्टर सोहन शिव चौहान एवं विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती सुनीता सिंह ने किया इस अवसर पर रविंद्र सिंह ठाकुर, गेंदालाल पाल, भगवान दास अग्रवाल, लल्लन सिंह ठाकुर, मुकेश मिश्रा, माया पाटीदार,विमला राणा, ज्योति पडोले, महर्षि दयानंद वैदिक विद्यालय की विद्यार्थियों व समाज जन ने प्रवचन का लाभ लिया। कार्यक्रम का संचालन व आभार श्री प्रकाश अग्रवाल ने किया।