मकान दीवार से, पैसा पर्स से, तो आत्म संपदा मर्यादा से रहती है सुरक्षित -आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा
रतलाम। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने मर्यादा को जीवन का सर्वोत्कृष्ठ आभूषण बताया है। उनके अनुसार सबको अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। मकान को दीवार सुरक्षित रखती है और पैसे को पर्स सुरक्षित रखता है, तो आत्म संपदा मर्यादा से सुरक्षित रहती है। मर्यादा तोडने वाले आत्म संपदा से वंचित रह जाते है। आचार्यश्री की निश्रा में 5 नवंबर को दशवैकालिक सूत्र पर संगोष्ठी होगी।
शनिवार को छोटू भाई की बगीची में प्रवचन देते हुए आचार्यश्री ने कहा मर्यादा जीवन का सुख है, परिवार का स्वर्ग है, समाज की ताकत है और संसार का सुकुन है। इसलिए मर्यादा का पालन आनंददायी रहता है। मर्यादा में जो भी रहते है, वे दुर्गुणों, दोषों और पाप से बच जाते है। वर्तमान समय में दुर्गुण और दोषों की आंधी चल रही है, इसलिए मर्यादा का महत्व बहुत बढ गया है। हर व्यक्ति को जीवन में मर्यादा रखनी चाहिए। मर्यादा का पालन जो भी करता है, वही परिवार को स्वर्ग बना सकता है और समाज को ताकतवर बनाकर देश में शांति एवं सुकुन रख सकता है।
आचार्यश्री ने कहा कि आज समाज में अशांति का कारण मर्यादा का पालन नहीं होना है। मर्यादा के अभाव में आत्म संपदा सुरक्षित नहीं है। हर व्यक्ति मर्यादा का मूल्य और महत्व समझे तो सुख, शांति, आनंद सब आ जाएंगे। आचार्यश्री ने कहा कि चुनाव में नेता वोट मांगने आते है, कुछ लोगों को नोट मांगते देखा होगा, लेकिन संत को केवल खोट चाहिए। समाज में लोग संतों को कई वस्तुएं बहराते है, लेकिन अपनी खोट बहराने वाले विरले होते है। ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर सबकों अपनी खोट, कमी और कमजोरियां खत्म करनी चाहिए।
उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने कहा परमात्म प्रिय बनने से पहले सबकों परिवार प्रिय बनने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए संतों की प्रेरणा से अपने मनमुटाव खत्म कर आगे बढना चाहिए। प्रवचन में उदयपुर श्री संघ ने चातुर्मास की विनती की। आनंदीलाल बम्बोरियाय ने विचार रखे। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।
श्री हुक्म गच्छीय शांत का्रंति जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में 5 नवंबर को आचार्य प्रवर की निश्रा में दशवैकालिक सूत्र पर संगोष्ठी होगी। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो धर्मचंद जैन जयपुर रहेंगें। दो सत्रों में होने वाली संगोष्ठ का पहला सत्र सुबह 9 बजे छोटू भाई की बगीची होगा। दूसरा सत्र दोपहर डेढ बजे सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में रखा गया है।