रतलाम

पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका पर पी.एच.डी

रतलाम| पर्यावरण पर राष्ट्रीय हिंदी मासिक ‘पर्यावरण डाइजेस्ट’ पत्रिका पर लिखे शोध प्रबंध पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय बोधगया द्वारा पिछले दिनों शोधार्थी रूचि कुमारी को शोध उपाधि (पी.एच.डी) प्रदान की गयी है। सुश्री रूचि कुमारी ने प्रोफेसर सुरेशचंद्र जी के मार्गदर्शन में “पर्यावरण विमर्श के विकास में पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका का योगदान” विषय पर विश्वविद्यालय में पी.एच.डी उपाधि हेतु अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया था।

 पर्यावरण डाइजेस्ट के संपादक डॉ.खुशालसिंह पुरोहित ने बताया कि कोलकाता (पश्चिम बंगाल) निवासी शोधार्थी रूचि कुमारी ने विश्वभारती शान्ति निकेतन से हिंदी साहित्य में परास्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय बोधगया में अपना शोध अध्ययन पूर्ण किया। शोधार्थी के मार्गदर्शक हिंदी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान् प्रोफ़ेसर सुरेशचंद्र जी ने वर्ष 1997 में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्वातंत्र्योतर हिंदी रामकाव्य का मूल्यपरक अध्ययन विषय पर शोध प्रबंध प्रस्तुत कर पी.एच.डी की उपाधि ली थी। दलित साहित्य विमर्श में प्रोफ़ेसर सुरेशचंद्र जी के साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान में आप दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा एवं साहित्य स्कूल में डीन के पद पर कार्यरत हैं।

 पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1987 में रतलाम शहर से हुआ और अपने प्रकाशन की 4  दशक की लम्बी यात्रा में पत्रिका में अनेक विद्वानों के 4500 से अधिक लेख और समाचार प्रकाशित हो चुकें हैं जिससे पर्यावरण के मुद्दे को जन चेतना से जोड़ने में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

 डॉ.पुरोहित ने प्रोफेसर सुरेशचंद्र जी और शोधार्थी रूचि कुमारी की पर्यावरण के प्रति निष्ठा और साहित्य को लोकचेतना से जोड़ने के प्रयासों के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनके यशस्वी जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित की है। 

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