राष्ट्रीय

संसदीय क्षेत्र जिलो के आधार पर हो – सृजन भारत

रतलाम| देश में लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन के ऊपर चल रही कवायद के बीच एक नया प्रस्ताव सामने आया है। सृजन भारत द्वारा देशभर में एक मुहिम प्रारंभ की गई है की लोकसभा क्षेत्र का परिसीमन जिलों के आधार पर होना चाहिए।

इस संबंध में विस्तृत पत्र लिखते हुए सृजन भारत द्वारा राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू,उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल सहित देश के समस्त लोकसभा सांसदों एवं राज्यसभा सांसदों एवं प्रदेशों के मुख्यमंत्रीयो को पत्र भेजते हुए सुझाव दिया है की परिसीमन को लेकर के समय-समय पर इसके मापदंडों को विवादास्पद बनाया जाता है तथा हर बार नए परिसीमन क्षेत्र बनाए जाने से सांसदों को क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। हर नए परिसीमन पर जो पुनः नए क्षेत्र बनाए जाते हैं, वह क्षेत्र का वास्तविक प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ साबित होते हैं। परिणाम स्वरूप क्षेत्रीय विकास प्रभावित होता है तथा स्थानीय जनता की आवाज संसद में बराबर नहीं पहुंच पाती है।

ऐसी दशा में देश की मान्य प्रशासनिक इकाई-जिलों को आधार बना कर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए। इस हेतु यह सुझाव भी दिया गया है कि देश में सर्वमान्य परिसीमन हेतु देश मे केन्द्र व राज्य मिलकर एक राष्ट्रीय जिला गठन नीति आयोग की स्थापना करने के साथ ही जिलों का मापदंड का कारक भी निर्धारित किया जाना चाहिए। तदनुसार लोकसभा में जिलों के आधार पर प्रतिनिधित्व दिए जाने की संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई  जानी चाहिए। सृजन भारत द्वारा उक्त सुझाव वर्ष 2005 के तत्कालीन परिसीमन आयोग को भी दिया गया था।

उक्त जानकारी देते हुए सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी ने बताया कि देश में इस वक्त लगभग 790 जिले हैं और लोकसभा में आगामी प्रस्तावित परिसीमन के पश्चात भी लगभग इतनी ही सीटे भरी जाना है। अतः जिलों का औसत आधार पर गठन किया जावे तथा संवैधानिक व्यवस्था कर लोकसभा परिसीमन में जिले के आधार पर प्रतिनिधित्व किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

इस नवीन पहल का राष्ट्रियव्यापी सकारात्मक प्रभाव होगा क्योंकि केन्द्र तथा राज्यों के बीच एक ऐसी सर्वमान्य निर्विवाद नीति बन जाने से जिसका कि आम जनता भी मांग करती चली आई है, उसके अनुरूप संसद में प्रतिनिधित्व मिलने से एक अच्छा संदेश जाएगा।

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