अयोध्या को विश्व स्तरीय नगर बनाने की दिशा दिखाई
श्री रामजन्म भूमि मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए विवाद के पक्षकारों से पत्र व्यवहार कर विवाद को सुलझाने की कोशिशों में भी अपनी पहल करी । श्री झालानी ने दिनांक 5 मार्च 2016 को आल इण्डिया बाबरी मस्जिद कमेटी के नेता जफरयाब जिलानी को पत्र लिखकर इस मामले को आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव दिया था।
रतलाम। देश के करोडों रामभक्तों की ही तरह अनिल झालानी भी बरसों से श्री रामलला के जन्मस्थान पर भव्य मन्दिर देखना चाह रहे हैं। इसलिए राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए प्रारंभ हुए आन्दोलन पर उन्होने शुरु से अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा । जब उच्चतम न्यायालय द्वारा श्री रामजन्म भूमि हिन्दुओं को सौंपे जाने का फैसला आने के बाद जब सबका ध्यान मुख्यतः सिर्फ मंदिर निर्माण पर ही केन्द्रित था तब श्री अनिल झालानी ने अयोध्या में श्री रामलला का भव्य मन्दिर बनाने के साथ -साथ अयोध्या नगरी को विश्व स्तरीय आध्यात्मिक नगरी के रुप में विकसित करने का महत्वकांक्षी सुझाव भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों को दिया था। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महन्त नृत्यगोपाल दास जी, महासचिव चंपतराय जी और भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र को एक पत्र लिखकर श्री झालानी ने सुझाव दिया था कि जिस तरह ईसाइयों की वेटिकन सिटी और और मुस्लिम समाज के मक्का मदीना की तर्ज पर अयोध्या को विश्वस्तरीय आध्यात्मिक नगरी के रुप में विकसित किया जाना चाहिए। श्री झालानी ने अपने पत्र में लिखा था कि मंदिर निर्माण के पूर्व विश्व की सभी महानतम इमारतों का निरीक्षण अवलोकन करने के बाद उन सबसे भी भव्य आकार का अति सुन्दर कलात्मक आधुनिक विशाल मन्दिर ही नहीं बनें वरन संपूर्ण अयोध्या नगरी को उसकी सांस्कृतिक एवं धार्मिक पहचान के साथ उसका प्राचीन एवं पुरातत्व महत्व यथावत रखते हुए अयोध्या के पुननिर्माण की परिकल्पना साकार की जाए। इस बीच उन्हीं दिनों यह सुगबुगाहट होने लग गई थी कि 2-3 वर्ष में मंदिर का निर्माण कार्य सम्पन्न करा दिया जावेगा। श्री झालानी को इसका आभास हो गया था कि राजनीतिक लाभ के लिये इसे जल्द-जल्द पूरा कराने की योजना बनाई जा रही है इस पर श्री झालानी ने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत श्री नृत्य गोपालदास जी महाराज को लिखा कि इस शीघ्रता से वह भव्यता की कल्पना साकार नही होगी जिसकी इस मंदिर के लिये जनाकांक्षा है। आज वर्तमान में जो तर्क वितर्क हो रहा है इसका आभास उस समय ही हो गया था जिसकी आज सभी ओर चर्चा है।

विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की कोशिशें भी
भारत गौरव के श्री झालानी ने न सिर्फ अयोध्या से सम्बन्धित समाचारों और साहित्य का संग्रह किया,बल्कि श्री रामजन्म भूमि मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए विवाद के पक्षकारों से पत्र व्यवहार कर विवाद को सुलझाने की कोशिशों में भी अपनी पहल करी । श्री झालानी ने दिनांक 5 मार्च 2016 को आल इण्डिया बाबरी मस्जिद कमेटी के नेता जफरयाब जिलानी को पत्र लिखकर इस मामले को आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव दिया था। इस पत्र में श्री झालानी ने जफरयाब जिलानी को लिखा कि पश्चिमी एशिया के फिलीस्तीनी इलाके में बेथलहम शहर के समीप ईसा मसीह की जन्मस्थली को फिलस्तीन के मुस्लिम समुदाय के नागरिकों द्वारा पुनरोद्धार का प्रंशसनीय कार्य किया जा रहा है। इसी तरह भारत के मुसलमानों को हिन्दू बहुल देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज के भगवान श्री राम की जन्मस्थली को स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं होना चाहिए। ऐसे में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का जन्मभूमि स्थल हिन्दूओं को सौंपने का एक साहसिक निर्णय देश के वातावरण, राजनीति और विकास की दिशा में ऐतिहासिक भूमिका निभा सकता है।

श्री झालानी ने अपने पत्र में श्री जिलानी को सुझाव दिया था कि वे अयोध्या के श्रीराम जन्मस्थान पर अपना दावा छोड दें जिससे कि दोनो समुदायों में न सिर्फ दूरियां घटेगी बल्कि एक दूसरेके प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आएगा। श्री झालानी ने अपने इस पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक, तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विहिप के तत्कालीन अध्यक्ष, सांसद डा. सुब्रमण्यम स्वामी और उध्दव ठाकरे आदि को भी भेजी थी। महत्वपूर्ण यह है कि आपसी सहमति से विवाद सुलझाने के इसके बाद ओर भी बहुत प्रयास हुए ओर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोनो पक्षकारों को इसके लिये पर्याप्त अवसर दिये जाकर कोर्ट के बाहर ही विवाद का हल निकालने की जो व जितनी पहल हुई, उसके भी चरण दर चरण समाचार संकलनों के संग्रह भी मौजूद है।
मंदिर निर्माण के लिए योगदान


5 अगस्त 2020 का दिन मंदिर प्रधानमंत्री के हाथों के भूमि पूजन के लिये निश्चित हुआ। एक राम भक्त होने के नाते मन प्रसन्नता से भाव विव्हल हुआ। जब भूमिपूजन समारोह के अवसर पर मंदिर निर्माण में कही से भी किसी के भी द्वारा कोई योगदान करने या देने की चर्चा तक नहीं थी, तब कोरोना काल मे स्वप्रेरणा से भगवान को समर्पित करने के लिये 30.07.2020 को अयोध्या में भव्य मन्दिर निर्माण और अयोध्या नगरी के विकास में अपना योगदान देने के उद्देश्य से श्री झालानी ने रतलाम में चांदी की ईटों का विधिवत पूजन किया। बाद में 2021 की दिवाली पर अयोध्या पंहुचकर यह चांदी की ईंटे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को भेंट कर, रामलला के दर्शन किये। श्री झालानी द्वारा एक किलो वजन वाली चांदी की पांच ईंटे भेंट करने की इच्छा व्यक्त की गई थी,परन्तु तीर्थ क्षेत्र न्यास ने उनसे सिर्फ एक ही ईंट स्वीकार की और शेष ईंटे स्वीकार करने से विनम्रता पूर्वक इंकार कर दिया। यह संकल्प, श्री झालानी दूसरे रूप में पूर्ण करने का संकल्प लिये हुए है। अयोध्या पहुंचकर श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र कार्यालय मे चांदी की ईटे समर्पित करी। अयोध्या यात्रा के इस अवसर पर श्री झालानी ने तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महन्त श्री नृत्य गोपाल दास जी से भी भेंट कर उनसे आशिर्वाद प्राप्त किए थे। उन्होने तीर्थ क्षेत्र न्यास के अन्य पदाधिकारियों से भी भेंट कर श्री रामलला के प्रति अपने मनोभावों को व्यक्त किया था। अयोध्या से लौटकर इसको व्यस्ततम नगरी के रूप में होने के स्वप्न को लेकर वहां की वर्तमान व्यवस्था में सुझावों पर भी प्रशासन व व्यवस्थापकों से अपने अनुभवों का पत्राचार किया।
श्री झालानी के पास रतलाम में अयोध्या आंदोलन से जुडी तमाम खबरों और अखबारों का एक अनूठा संकलन मौजूद है, जिसमें 1989 से लेकर आज तक राम जन्मभूमि आन्दोलन के प्रत्येक पक्ष से जुडे समाचार प्रकाशित करने वाले अखबारों के साथ अन्य प्रकार का साहित्य भी शामिल है। यह देश में अपनी तरह का एक अनोखा और अनूठा संग्रह भारत गौरव अभियान के अनिल झालानी ने किया है। आज उनके इस संग्रह में पिछले 33 वर्षों के दौरान राम जन्मभूमि के बारे में छपे हजारों समाचार और आलेख मौजूद है। श्री झालानी के इस संग्रह में 25 अक्टूबर 1990 को प्रकाशित दैनिक भास्कर का वह अंक भी मौजूद है,जिसमें समाचार पत्र ने बाबरी मस्जिद के मन्दिर होने के प्रमाण जनता के समक्ष लाने के लिये पहली बार प्रकाशित किए थे। इस अंक में कथित बाबरी मस्जिद के भीतरी हिस्सों के में लगे काले कसौटी पत्थर के स्तंभ और उनपर अंकित देवी देवताओं की मूर्तियों के चित्र थे।


श्री झालानी के पास इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा राम जन्मभूमि विवाद पर दिनांक 10.10.2010 को दिये गए फैसले से संबंधित समाचार पत्रों के अंक तो है ही दिनांक 09.11.2019 को सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठ न्यायधीशों द्वारा राम जन्मभूमि पर हिन्दुओं का अधिकार के सर्वसम्मति से दिये गए एतिहासिक फैसले तथा उस फैसले के आगे पीछे के दिनों की प्रतिदिन की गतिविधियों के सम्बन्ध में प्रकाशित बडे महत्वपूर्ण समाचार पत्रों का भी संग्रह है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने आदेश में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिये सुझाए गए ट्रस्ट के गठन के उतार चढाव और उसमें सम्मिलित किये जाने वाले सदस्यों के संभावित नामों को लेकर की गई संपूर्ण प्रस्तावना की पेपर कतरनों से लगाकर राम जन्मभूमि हिन्दुओं को दिलाकर मंदिर बनवाने के आन्दोलन व मंदिर बनवाने के लिये प्रयास करने वालों के दावेदारों की तत्कालीन समय के पूर्व ओर बाद की भूमिका व उनके मध्य आपसी विवादों से संबंधित संपूर्ण कहानी का भी लेखा जोखा है।
श्री झालानी के संकलन मे 1990के पूर्व चारों शंकराचारीयों द्वारा स्वीकृत, उनकी परिकल्पना का राममंदिर का मानचित्र भी है।
श्री झालानी के संकलन मे 1990के पूर्व चारों शंकराचारीयों द्वारा स्वीकृत, उनकी परिक झालानी के संग्रह में जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानन्द जी सरस्वती महाराज और विश्व हिन्दू परिषद व सैयद शहाबुद्दीन के मध्य हुए पत्राचार जैसे दस्तावेजों को समेट कर प्रकाशित की गई पुस्तकः-
- जगदगुरू शंकराचार्य धर्म क्रांति से कारागर तक (शोतेश्वर(गोटेगांव)स्थित स्वामी स्वरूपानंद जी के आश्रम पहुंचकर व वहां से प्राप्त कर) अन्य पुस्तको में
- “श्रीराम जन्मभूमि“ (के अस्तित्व व इतिहास की भ्रान्तियो) के संदर्भ में बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्नो के उत्तर (के रूप में समाधानों का )(सच जानिए)
- राजकिशोर द्वारा लिखित “अयोध्या और उससे आगे“
- अब्दुल मुर्बान द्वारा रामजन्मभूमि होने का खंडन करने वाली पुस्तक ‘भारत की समस्या-बाबरी मस्जिद, रामजन्मभूमि विवाद या कुछ ओर‘ तथा लेखक ब्रजगोपाल राय चंचल की एक ऐतिहासिक दस्तावेजनुमा पुस्तक-
- ‘मंदिर वही बनायेगें मगर क्यो? जैसे तथ्य पदक जानकारी के सभी अनेक छोटे बडे आलेख-साहित्य का संकलन मौजूद है।

ट्रस्टीयों के नामों को लेकर कवायदः-
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने आदेश में रामजन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिये सुझाए गए ट्रस्ट के गठन के उतार चढ़ाव और उसमें सम्मिलित किये जाने वाले सदस्यों के संभावित नामो को लेकर की गई संपूर्ण प्रस्तावना की पेपर कतरनों से लगाकर रामजन्मभूमि हिन्दुओं को दिलाकर मंदिर बनवाने के आन्दोलन व मंदिर बनवाने के लिये प्रयास करने वालों के दावेदारों की तत्कालीन समय के पूर्व ओर बाद की भूमिका, व उनके मध्य आपसी विवादों से संबंधित संपूर्ण कहानी का भी लेखा जोखा है।
आमंत्रण के लिये राह जोते रहे, शीघ्र ही दर्शन को जाएंगे
जिन लोगों ने समय पर कोई योगदान नही किया और जब आज उनमे से अनेक लोग लोगों को प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम मे आमंत्रित किया गया है। तब स्वाभाविक ही उन्हे उम्मीद थी कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित रहने का अवसर उन्हे भी मिलेगा और इस एतिहासिक अवसर पर वे वहां पहुंचने के लिये प्रयासरत रहे। परन्तु यह संभव नही हो पाया। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद वे किसी उपयुक्त समय पर श्री रामलला के दर्शन करने के लिए अयोध्या जाकर अपने प्रतिक्षित संकल्प पर आगे बढ़ने के लिये धर्म नगरी जाने की योजना बना रहे है।